Wednesday 10 January 2018


आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम के समन्वय से मिलेंगी अच्छी स्वास्थ्य सेंवायें
राजसंगम की अवधारणा के तहत आयोजित हुई विडियों कॉन्फ्रेन्स 

राजसमंद, 10 जनवरी। आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम के साथ मिलकर गांव मंे कार्य करनें संे गर्भवती महिलाओं, प्रसूता महिलाओं के साथ बच्चों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेंवायें अच्छी मिलेंगी और प्रदेश के स्वास्थ्य सूचकांको में वृद्धि होगी। यह विचार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता ने राजसंगम की अवधारणा के तहत आयोजित की जा रही विडियों कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से प्रदेश की आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम को संबोधित करतें हुयें व्यक्त कियेें।  
उन्होंने बताया की प्रदेश में महिलाओ एवं बच्चों को अच्छी स्वास्थ्य सेवायें देने में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम की महत्वपूर्ण भुमिका होती है। इसीलियें प्रदेश की मुख्यमंत्री महोदया श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा राजसंगम अवधारणा का शुभारम्भ किया गया है। जिसके तहत अब गांव स्तर पर कार्य करनें वाली तीनों प्रमुख कार्मिक एक साथ टीम भावना से कार्य करेंगी।
विडियों कॉन्फ्रेन्स में एनएचएम राजस्थान के मिशन निदेशक श्री नवीन जैन ने स्वास्थ्य के क्षैत्र में गांव स्तर पर कार्य करने वाली आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम को संबोधित करते हुयें कहा की आपके क्षैत्र में प्रत्येक गर्भवती महिला, नवजात शिशु, कुपोषित बच्चों एवं अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हीत करना एवं स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी समय समय पर मिलने वाली सभी सेवायें मिले इसके लियें आवश्यक है की सभी साथ मिलकर कार्य करें, सभी के सेवा रजिस्टर में लाभार्थीयों का इन्द्राज होना और सेवाओं में सामन्जस्य होना जरूरी है। 
विडियों कॉन्फ्रेन्स में एक विडियों के माध्यम से अवधारणा को विस्तार से समझाया गया। तीनों कार्मिको द्वारा सबसें पहलें गांव का नक्शा बनानें, तीनो कार्मिको के रजिस्टरों में समानता होने, लाभार्थियांे के घरों को बिंदियों से नक्शे पर दिखाना एवं तीनो द्वारा बैठक कर प्रत्येक लाभार्थी कों स्वास्थ्य एवं पोषण सेवायें उपलब्ध करवाना है। 
नक्शा बनातें समय प्रत्येक घर को नक्शें में अंकीत करना है तथा घर पर अलग - अलग रंग की बिन्दीयों से लाभार्थी को दर्शाना होगा। नीली बिंदी गर्भवती महिला का संकेत होगा, लाल बिन्दी अधिक जोखिम वाली गर्भवती महिला, गुलाबी बिन्दी नवजात शिशु, पीली बिंदी कुपोषित बच्चें तथा पीली के उपर छोटी लाल बिंदी अतिकुपोषित बच्चे की पहचान होगी। जिससें तीनों कार्मिक को कार्ययोजना बनाने में आसानी होगी तथा किस घर में आशा को कब संपर्क करना है तथा कौनसी स्वास्थ्य सेवा मुहैया करवानी है यह तय हो जायेगा। 
मिशन निदेशक श्री नवीन जैन निर्देशित किया की यह प्रत्येक आंगनबाड़ी क्षैत्र का यह नक्शा आगामी 10 फरवरी तक बन जाना चाहियें जिससें ग्रामीण जन को इस अवधारणा का लाभ शिघ्रता से मिलने लग जायें। विडियों कॉन्फ्रेन्स राज्य परियोजना निदेशक डॉ तरूण चौधरी ने भी संबोधित किया। इस तरह की 21 विडियों कॉन्फ्रेन्स कर प्रदेश में कार्यरत 16 हजार एएनएम, 62 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 49 हजार आशा सहयोगिनीयों को ट्रीपल ए अवधारणा का प्रशिक्षण दिया जायेंगा। जिले से जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों, जिला आशा समन्वयक श्री हरिशंकर शर्मा, खंड कार्यक्रम प्रबंधको, आशा, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित थी। 

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