Friday, 26 May 2017



गुणवत्तापुर्ण सूपरविजन से ही मिलेगी गुणवत्तापुर्ण स्वास्थ्य सेवायें
अब महिला मार्गदर्शिका को हर माह करनी होगी 12 गांवो की विजिट 
राजसमंद, 26 मई। आमजन को गुणवत्तापुर्ण स्वास्थ्य सेवायें मिलें इसके लियें ग्राम पंचायत पर कार्यरत स्वास्थ्य कार्मिक एएनएम एवं गांव स्तर पर कार्यरत आशा सहयोगिनी के द्वारा कियें जा रहें कार्य के मुल्यांकन को मजबूत करनें के लियें जिलें में पीएचसी स्तर पर सूपरविजन के लियें कार्यरत महिला मार्गदर्शिका को अनिवार्यतः 12 गांवो की विजिट करनी होगी। यह निर्देश जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा ने स्वास्थ्य भवन में आयोजित जिलें की सभी महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका की बैठक में दियें। 
उन्होंने कहा की शिघ्र ही जिलें में चिरायू कार्यक्रम भी लागू किया गया जायेगा जिसका मुख्य उदे्श्य शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। जिला स्वास्थ्य सूचकांको की दृष्टी से पिछड़ा होने के कारण उच्च प्राथमिक वाले सूची में शामिल है। यह हम सभी की सामुहीक जिम्मेदारी है कि सरकार द्वारा मिलने वाली सभी स्वास्थ्य सेवायें समय पर गुणवत्तापूर्ण मिलें। 
उन्होंने कहा की जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ के निर्देशन मंे इस नवीन रणनीति का क्रियान्वयन किया जायेगा और इसमे किसी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। 
जिला स्तर पर गांव स्तरीय कार्मिको के कार्यो की कड़ी मोनिटरींग करने के लियें महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका एक महत्वपुर्ण कड़ी है। इसलियें महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका को सप्ताह में 3 दिन अपने सैक्टर के गांवो में जाना होगा। जिसमें से 1 दिन उपस्वास्थ्य केन्द्र का दौरा कर वहां एएनएम द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेंवाओं का प्रमाणीकरण के  साथ ही रिकार्ड का सत्यापन करेंगी एवं 2 दिन अलग - अलग 2 गांवो में दौरा कर मातृत्व स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण कार्यक्रम, परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत आशा सहयोगिनीयों एवं एएनएम द्वारा गांव या कस्बें में दी जा रही सेवाओं का भौतिक सत्यापन करेंगी।
महिला मार्गदर्शिका के गांवो में विजिट के लियें जिला स्तर पर एक प्रारूप तैयार किया है। जिसमें महिला मार्गदर्शिका को विजिट कियें गयें गांव की कुल गर्भवती महिलाओं की संख्या, हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की संख्या, गांव में घर पर होने वाले प्रसव की संख्या, आठवें व नौंवे माह की गर्भवती महिलाओं की संख्या, मातृ मृत्यु की संख्या दर्ज करनी होगी। दो गर्भवती महिलाओं से संपर्क कर आखरी माहवारी की दिनांक, प्रसव की संभावित दिना, हाईरिस्क प्रेगनेंसी में शामिल है या नही, गर्भवती महिला को मिलने वाले स्वास्थ्य सेवायंे टीटी का टीका, आईएफए, कैल्शियम, एलबैन्डाजोल की गोलियों के बारें में पूछताछ कर प्रारूप में दर्ज करना होगा और महिला का मोबाईल नम्बर लिखना होगा। 
शिशु स्वास्थ्य की दृष्टी से गांव में 1 वर्ष तक के शिशुओं की संख्या, नवजात शिशुओं की संख्या, नवजात शिशुओं में उच्च जोखिम वाले शिशुओं की संख्या, सीएचसी पर संचालित एनबीएसयू एवं जिला चिकित्सालय में संचालित एसएनसीयू से डिस्चार्ज बच्चों की संख्या, कम वजन वाले बच्चों की संख्या के साथ ही गांव में 0 से 1 वर्ष की उम्र की बच्चों की मृत्यु की संख्या को दर्ज करना होगा। 
महिला मार्गदर्शिका को गांव स्तर पर आयोजित होने वाले मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के आयोजन की जानकारी एवं पूर्ण टिकाकृत एवं संपूर्ण टिकाकृत बच्चों की संख्या को दर्ज करने एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी, आयूसीडी एवं पीपीआईयूसीडी के लाभार्थीयों की संख्या भी बतानी होगी। 
प्रत्येक गांव में विजिट के दौरान महिला मार्गदर्शिका को स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक सत्यापन 2 लाभार्थीयों के घर जाकर करना होगा। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत लाभार्थी महिला से प्रसव का स्थान, मिलने वाली प्रोत्साहन राशि, घर से अस्पताल व अस्पताल से वापस घर पहूंचाने वाले निःशुल्क वाहन की सुविधा, चिकित्सा संस्थान पर निःशुल्क भोजन व निःशुल्क जांच की सुविधा के बारें में जानकारी ली जायेगी। 
विजिट के दौरान गांव की सभी उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं से मिलकर उच्च जोखिम का कारण, उपचार की स्थिती, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लाभ, निःशुल्क वाहन का उपयोग, एनएनएम और आशा द्वारा घर पर की गई विजिट के बारें में पूछताछ करनी होगी।
नवजात शिशु की देखभाल के लियें 42 दिन के उच्च जोखिम वाले सभी बच्चों के घर जाकर वजन , अन्य जौखिम, एएनएम व आशा द्वारा की गई विजिट के बारें में लाभार्थी महिला से पूछा जायेगा। वहीं एसएनसीयू एवं एनबीएसयू से डिस्चार्ज सभी बच्चों की वस्तुस्थिती के बारें में जानकारी देनी होगी। 
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा नेे कहा की स्वास्थ्य मार्गदर्शिका द्वारा लाभार्थी के घर जाकर की जाने वाली इस सम्पूर्ण गतिविधी के बारें में जिला स्तर से मोबाईल द्वारा सम्बन्धित लाभार्थी से जानकारी ली जायेगी और स्वास्थ्य मार्गदर्शिका द्वारा गलत सूचना दियें जाने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। 
बैठक में जिला नोडल अधिकारी मोनिटरिंग एवं एवोल्यूशन श्री विनित दवे ने विस्तार से प्रारूप के बारें में समझाया। जिला आशा समन्वयक श्री हरिशंकर शर्मा ने आशा और एएनएम के कार्यो के मूल्यांकन करने पर जोर दिया। इससें पूर्व ई-विन सिस्टम के माध्यम से जिला सलाहकार महेन्द्र आर्चाय ने टीकाकरण के कार्यक्रम की वस्तुस्थिती के बारें में बताया। बैठक में उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर, जिला आईईसी समन्वयक दिलीप श्रीमाली उपस्थित थें। 

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