Tuesday, 30 May 2017


कोटपा अधिनियम को सख्ती से लागु करें - श्री नरेंन्द्र गहलोत सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
 31 मई विश्व नो टेबेको के दिन पुरे जिलें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग करेंगा कार्यवाही 

राजसमंद, 30 मई। सिगरेट एवं अन्य तम्बाकु उत्पाद अधिनियम को चिकित्सा संस्थान एवं क्षैत्र में सख्ती के साथ लागु करें साथ ही जागरूकता हेतु सामुदायिक बैठकों में तम्बाकु से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देवे। यह जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री नरेन्द्र गहलोत ने जिला स्वास्थ्य भवन में आयोजित खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं चिकित्सा अधिकारी प्रभारीयों की बैठक में दियें। 
उन्होंने कहा की तम्बाकु युक्त पदार्थाे जैसे बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, पान - मसाला, चिलम, हुक्का, इलेक्ट्रॅानिक सिगरेट आदि के उपयोग एवं इन पदार्थो के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध संस्था प्रभारी द्वारा लागु किया जायें। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान करने वाले व्यक्तियों पर सख्ती के साथ कार्यवाही कर चालान बनायें जायें। साथ ही 31 मई विश्व नो टेबेको डे पर संपूर्ण जिलें में बडे़ स्तर पर कार्यवाही कर तम्बाकू अधिनियम के तहत कार्यवाही करें। 
बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी प्रभारी यह भी सुनिश्चित करें कि चिकित्सा संस्थानो में कार्यरत कार्मिकों द्वारा संस्थान में किसी भी प्रकार के तम्बाकू पदार्थो का सेवन नहीं किया जाये।जो कार्मिक तम्बाकु का सेवन करते है उनका पंजीकरण कर आर.के.राजकीय जिला चिकित्सालय मंे संचालित तम्बाकू मुक्ति उपचार व परामर्श केन्द्र में रेफर किया जाये। सभी चिकित्सा संस्थानो में तम्बाकु मुक्त वातावरण बनायें रखने के लियें एक निगरानी समिति का गठन किया जाये। साथ ही उप स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर पर निगरानी समिति में ग्राम स्तरीय स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के सदस्यों को भी सम्मिलित किया जा सकता है। 
प्रत्येक चिकित्सा संस्थानों में तम्बाकु मुक्त चिकित्सा संस्थान, धुम्र्रपान निषेध क्षैत्र तथा तम्बाकु सेवन छोड़ने के सम्बन्ध में आवश्यक साइनेज/बोर्ड प्रदर्शित किया जाना सुनिश्चित करावें। यह बोर्ड/साइनेज सभी प्रमुख स्थानों जैसे प्रवेश, निकास, सीढी, मिटिंग हॉल एवं अन्य प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किये जावें इसके लियें मेडिकल रिलिफ सोसायटी की राशि का उपयोग किया जा सकता है। 
डॉ गौड़ ने कहा कि सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी प्रभारी अपने क्षैत्र में कार्यवाही करेंगे तथा शाम को जिला स्तर रिपोर्ट भेजेंगे। उन्होंने कहा जिला स्तर पर जिला तंबाकु नियंत्रण प्रकोष्ठ की और से बड़े स्तर पर कार्यवाही की जायेगी। 



मॉं और बच्चें को मिले गुणवत्तापुर्ण और गरिमापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं - जिला कलक्टर श्री पी.सी. बैरवाल 

राजसमंद, 30 मई। चिकित्सा संस्थानों में प्रत्येक मॉ और बच्चें को गुणवत्तापुर्ण और गरिमापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलें इसके लियें चिकित्सा संस्थान के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के साथ ही संस्थान पर कार्यरत प्रत्येक कार्मिक को सजग करें। चिकित्सा संस्थानों पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के लियें आने वाली महिलाओं से गरीमापूर्ण व्यवहार के साथ ही निजता का पुर्ण खयाल रखें। यह निर्देश जिला कलक्टर श्री पी.सी. बैरवाल ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं जतन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मां और बच्चों को गुणवत्तापुर्ण और गरिमापुर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लियें जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त कियें। 
कार्यशाला में प्रमुख चिकित्सा अधिकारीयों, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी विभिन्न स्वयंसेवी संस्थानों, महिला कार्यकर्ताओं एवं चिकित्सकों को सम्बोधित करतें हुयें जिला कलक्टर ने कहा की प्रत्येक माह में खंड स्तर से सम्बन्धित चिकित्सा अधिकारी को अपने क्षैत्र की संभावित प्रसव वाली महिलाओं की सूची उपलब्ध करवायी जायें जिससें महिला के प्रसव प्रबंधन आसानी से हो तथा निःशुल्क परिवहन सेवाओं के साथ ही प्रसव में होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकें। उन्होंने  चिकित्सा संस्थानों पर मिलने वाले मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी आम जन को देने के लियें स्वयंसेवी संस्थानों एवं महिला कार्यकर्ताओं का आव्हान किया कि वे गांवो मंे सामुदायिक बैठकों का आयोजन करें जिसमंे स्थानिय विभागिय अधिकारीयों के माध्यम से लोगो के पोषण एवं स्वास्थ्य विभाग की सभी योजनाओं की जानकारी मिल सकें। 
बैठक में सुरक्षित मातृत्व के लियें प्रदेश में कार्यरत सुमा सुरक्षित मातृत्व गठबंधन की और से जिलें के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों आर.के. राजकीय जिला चिकित्सालय, सीएचसी खमनोर, देवगढ़, आमेट, केलवाड़ा, रेलमगरा पीएचसी कुरज, कुन्दवा, सरदारगढ़, सालोर चिकित्सा संस्थानों में वहां मां और बच्चों को गुणवत्तापुर्ण और गरिमापुर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में प्रजेंटेशन के माध्यम से अधिकारीयों- कार्मिको के व्यवहार, महिलाओं की निजता, ढांचागत व्यवस्थायें, सेवाओं की गुणवत्ता, राजस्थान मेडिकल रिलिफ सोसायटी की बैठकों की स्थिती पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं सुझाव दियें। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारकी डॉ पंकज गौड़ ने सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों से कहा कि खंड स्तर पर गठीत खंड स्वास्थ्य समिति को भी सक्रिय कर नियमित बैठक करें जिससें खंड की स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की सुदृढीकरण के लियें निर्णय लियें जा सकें।  चिकित्सा अधिकारीयों को निर्देशित किया कि वे एक कुशल प्रबंधक की तरह चिकित्सा संस्थान की व्यवस्थाओं को देखें तथा क्षैत्र के लोगो में संस्थान की विश्वसनियता कायम करने के लियें जहां कही कमी लगे मेडिकल रिलिफ सोसायटी की बैठक के माध्यम से चिकित्सा संस्थान में साफ -सफाई , उपकरणों के संचालन , आईईसी सामग्री की व्यवस्थित प्रदर्शन के साथ ही छोटे लेकीन आवश्यक ढांचागत सुधारों को क्रियान्वित करें। 
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ सी.एल. डूंगरवाल ने प्रत्येक चिकित्सा संस्थान पर गठीत राजस्थान मेडिकल रिलिफ सोसायटी के गठन और उसकी उपयोगिता को लेकर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मेडिकल रिलिफ सोसायटी की नियमित बैठकों को चिकित्सा संस्थान एवं आमजन दोनो के हित में बताया। 
बैठक में उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा, स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ मंजू पुरोहित, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रहलाद सिंह सौलंकी, डॉ जे.पी.बूनकर, डॉ कमलेश मीणा, डॉ धमेन्द्र शर्मा, डॉ सी.पी.सूर्या, डॉ शैलेन्द्र सिंह सहित चिकित्सा अधिकारी, जिला नोडल अधिकारी विनित दवे, जिला आईईसी समन्वयक दिलीप श्रीमाली सूमा एवं जतन संस्थान के प्रतिनिधी उपस्थित थें।   

Friday, 26 May 2017



गुणवत्तापुर्ण सूपरविजन से ही मिलेगी गुणवत्तापुर्ण स्वास्थ्य सेवायें
अब महिला मार्गदर्शिका को हर माह करनी होगी 12 गांवो की विजिट 
राजसमंद, 26 मई। आमजन को गुणवत्तापुर्ण स्वास्थ्य सेवायें मिलें इसके लियें ग्राम पंचायत पर कार्यरत स्वास्थ्य कार्मिक एएनएम एवं गांव स्तर पर कार्यरत आशा सहयोगिनी के द्वारा कियें जा रहें कार्य के मुल्यांकन को मजबूत करनें के लियें जिलें में पीएचसी स्तर पर सूपरविजन के लियें कार्यरत महिला मार्गदर्शिका को अनिवार्यतः 12 गांवो की विजिट करनी होगी। यह निर्देश जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा ने स्वास्थ्य भवन में आयोजित जिलें की सभी महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका की बैठक में दियें। 
उन्होंने कहा की शिघ्र ही जिलें में चिरायू कार्यक्रम भी लागू किया गया जायेगा जिसका मुख्य उदे्श्य शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। जिला स्वास्थ्य सूचकांको की दृष्टी से पिछड़ा होने के कारण उच्च प्राथमिक वाले सूची में शामिल है। यह हम सभी की सामुहीक जिम्मेदारी है कि सरकार द्वारा मिलने वाली सभी स्वास्थ्य सेवायें समय पर गुणवत्तापूर्ण मिलें। 
उन्होंने कहा की जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ के निर्देशन मंे इस नवीन रणनीति का क्रियान्वयन किया जायेगा और इसमे किसी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। 
जिला स्तर पर गांव स्तरीय कार्मिको के कार्यो की कड़ी मोनिटरींग करने के लियें महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका एक महत्वपुर्ण कड़ी है। इसलियें महिला स्वास्थ्य मार्गदर्शिका को सप्ताह में 3 दिन अपने सैक्टर के गांवो में जाना होगा। जिसमें से 1 दिन उपस्वास्थ्य केन्द्र का दौरा कर वहां एएनएम द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेंवाओं का प्रमाणीकरण के  साथ ही रिकार्ड का सत्यापन करेंगी एवं 2 दिन अलग - अलग 2 गांवो में दौरा कर मातृत्व स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण कार्यक्रम, परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत आशा सहयोगिनीयों एवं एएनएम द्वारा गांव या कस्बें में दी जा रही सेवाओं का भौतिक सत्यापन करेंगी।
महिला मार्गदर्शिका के गांवो में विजिट के लियें जिला स्तर पर एक प्रारूप तैयार किया है। जिसमें महिला मार्गदर्शिका को विजिट कियें गयें गांव की कुल गर्भवती महिलाओं की संख्या, हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की संख्या, गांव में घर पर होने वाले प्रसव की संख्या, आठवें व नौंवे माह की गर्भवती महिलाओं की संख्या, मातृ मृत्यु की संख्या दर्ज करनी होगी। दो गर्भवती महिलाओं से संपर्क कर आखरी माहवारी की दिनांक, प्रसव की संभावित दिना, हाईरिस्क प्रेगनेंसी में शामिल है या नही, गर्भवती महिला को मिलने वाले स्वास्थ्य सेवायंे टीटी का टीका, आईएफए, कैल्शियम, एलबैन्डाजोल की गोलियों के बारें में पूछताछ कर प्रारूप में दर्ज करना होगा और महिला का मोबाईल नम्बर लिखना होगा। 
शिशु स्वास्थ्य की दृष्टी से गांव में 1 वर्ष तक के शिशुओं की संख्या, नवजात शिशुओं की संख्या, नवजात शिशुओं में उच्च जोखिम वाले शिशुओं की संख्या, सीएचसी पर संचालित एनबीएसयू एवं जिला चिकित्सालय में संचालित एसएनसीयू से डिस्चार्ज बच्चों की संख्या, कम वजन वाले बच्चों की संख्या के साथ ही गांव में 0 से 1 वर्ष की उम्र की बच्चों की मृत्यु की संख्या को दर्ज करना होगा। 
महिला मार्गदर्शिका को गांव स्तर पर आयोजित होने वाले मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के आयोजन की जानकारी एवं पूर्ण टिकाकृत एवं संपूर्ण टिकाकृत बच्चों की संख्या को दर्ज करने एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी, आयूसीडी एवं पीपीआईयूसीडी के लाभार्थीयों की संख्या भी बतानी होगी। 
प्रत्येक गांव में विजिट के दौरान महिला मार्गदर्शिका को स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक सत्यापन 2 लाभार्थीयों के घर जाकर करना होगा। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत लाभार्थी महिला से प्रसव का स्थान, मिलने वाली प्रोत्साहन राशि, घर से अस्पताल व अस्पताल से वापस घर पहूंचाने वाले निःशुल्क वाहन की सुविधा, चिकित्सा संस्थान पर निःशुल्क भोजन व निःशुल्क जांच की सुविधा के बारें में जानकारी ली जायेगी। 
विजिट के दौरान गांव की सभी उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं से मिलकर उच्च जोखिम का कारण, उपचार की स्थिती, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लाभ, निःशुल्क वाहन का उपयोग, एनएनएम और आशा द्वारा घर पर की गई विजिट के बारें में पूछताछ करनी होगी।
नवजात शिशु की देखभाल के लियें 42 दिन के उच्च जोखिम वाले सभी बच्चों के घर जाकर वजन , अन्य जौखिम, एएनएम व आशा द्वारा की गई विजिट के बारें में लाभार्थी महिला से पूछा जायेगा। वहीं एसएनसीयू एवं एनबीएसयू से डिस्चार्ज सभी बच्चों की वस्तुस्थिती के बारें में जानकारी देनी होगी। 
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा नेे कहा की स्वास्थ्य मार्गदर्शिका द्वारा लाभार्थी के घर जाकर की जाने वाली इस सम्पूर्ण गतिविधी के बारें में जिला स्तर से मोबाईल द्वारा सम्बन्धित लाभार्थी से जानकारी ली जायेगी और स्वास्थ्य मार्गदर्शिका द्वारा गलत सूचना दियें जाने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। 
बैठक में जिला नोडल अधिकारी मोनिटरिंग एवं एवोल्यूशन श्री विनित दवे ने विस्तार से प्रारूप के बारें में समझाया। जिला आशा समन्वयक श्री हरिशंकर शर्मा ने आशा और एएनएम के कार्यो के मूल्यांकन करने पर जोर दिया। इससें पूर्व ई-विन सिस्टम के माध्यम से जिला सलाहकार महेन्द्र आर्चाय ने टीकाकरण के कार्यक्रम की वस्तुस्थिती के बारें में बताया। बैठक में उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर, जिला आईईसी समन्वयक दिलीप श्रीमाली उपस्थित थें। 

Thursday, 25 May 2017

1 लाख 43 हजार बच्चों को पीलायेंगे विटामिन ए खुराक
रतांेधी के साथ -साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लियें जरूरी

राजसमंद, 25 मई। जिलें में आगामी 30 मई से 30 जून तक 9 माह से 5 वर्ष तक के 1 लाख 43 हजार बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र, उपस्वास्थ्य केन्द्र सहित सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानो पर विटामिन ए की खुराक पीलायी जायेगी। अभियान के तहत शहरी क्षैत्र में निजी विद्यालयों एवं निजी चिकित्सा संस्थानो पर भी विटामिन ए खुराक पीलाने की व्यवस्था की जायेगी। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ दी। 
विटामिन ए की खुराक 6 माह के अन्तराल से बच्चों को पिलायी जाती है। विटामिन ए आंखो की बीमारीयों जैसे रंतौधी अंधता से बचाव के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। बच्चों में दस्त एवं निमोनिया आदि बिमारीयों के घातक प्रभाव में भी विटामिन ए कमी लाता है। जिससें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में कमी होती है। 
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा ने बताया की अभियान के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को 2 एम.एल की खुराक पिलायेगी वहीं 9 माह के बच्चों को जिन्हें मिजल्स के साथ विटामिन ए नहीं दी गई है को विटामिन ए की 1 एम.एल की खुराक पिलाती है। जिन स्थानो पर आंगनबाड़ी नहीं है वहां पर एएनएम बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलायेंगी। 


यदि आप बी.पी.एल परिवार से है, तो जानकारी है लाभदायक 
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की योजना
बी.पी.एल देशी घी योजना के तहत 1896 महिलायें हुई लाभान्वित

राजसमंद, 25 मई। विभाग की बी.पी.एल देशी घी योजना के तहत 1896 महिलाओं ने पिछले 5 वर्षाे में लाभ लिया है। योजना का मुख्य उदेश्य गरीब एवं वंचित परिवार की माताओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य के लियें पोषण देने के साथ ही संस्थागत प्रसव के लियें प्रोत्साहित करना है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ ने दी। 
 राज्य सरकार द्वारा संचालित इस योजना में बी.पी.एल परिवार, स्टेट बी.पी.एल परिवार, अंत्योदय अन्न योजना में चयनित सहरीया परिवार, कथौैड़ी जनजाति के परिवार की प्रसूता महिला को पहले संस्थागत प्रसव पर 5 लीटर देशी घी का उपहार दिया जा रहा है। 
योजना के तहत वर्ष 2016-2017 में 247 महिलाओं ने इस योजना का लाभ लिया है। योजना के तहत महिला द्वारा राजकीय चिकित्सा संस्थान पर बी.पी.एल, स्टेट बी.पी.एल परिवार, अंत्योदय अन्न योजना में चयनित सहरीया परिवार, कथौड़ी जनजाति के परिवार से होने का कार्ड प्रस्तुत करना होता है। 
राजकीय चिकित्सा संस्थान पर योजना की पात्र प्रसूता महिला को पहले प्रसव पर 5 लीटर देशी घी का कूपन दिया जाता है। जिसें लाभान्वित परिवार के सदस्य द्वारा सरस डेयरी बूथ पर जाकर कूपन जमा करवा 5 लीटर देशी घी प्राप्त करना होता है।

Friday, 19 May 2017

गर्भ में बेटीयों को बचानें में युवा साथ दे - डॉ पंकज गौड़ सीएमएचओ
श्रीनाथ बीएससी नर्सिंग कॉलेज में डॉटर आर प्रिसीयस अभियान के तहत आयोजित हुआ कार्यक्रम
राजसमंद, 19 मई। समाज में लड़कीयों के कम होने का सीधा सा कारण है कि लिंग परिक्षण का कार्य कही कही हो रहा है और इसकों रोकने के लियें हमें अपने परिवार आस - पास के लोगो को इस मुद्दे पर संवेदित करना होगा। इस कार्य में छात्र छात्रायें अपनी महत्वपुर्ण भुमिका का निर्वाह कर सकतें है। यह विचार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़ ने भीलवाड़ा रोड़ स्थित श्रीनाथ बीएससी नर्सिंग कॉलेज में डॉटर आर प्रिसीयस अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में नर्सिंग छात्रों को सम्बोधित करतें हुयें व्यक्त कियें।
                  उन्होंने बताया कि विभाग ने बड़े स्तर पर गर्भ धारण पुर्व एवं प्रसव पुर्व निदान तकनिक अधिनियम के क्रियान्वयन को सख्ती से लागु करते हुयें  कुल 69 डिकॉय ऑपरेशन कियें है जिसमें 15 ऑपरेश राज्य से बाहर कियें है। इन ऑपरेशन में लिंग परिक्षण के कूकृत्य में शामिल डॉक्टर अन्य लोगो को जेल भेजा गया है। अधिनियम को सख्ती से लागु करने के साथ ही हमें स्वयं भी अपने परिवार आस पास के लोगो की मानसिकता में बदलाव लाने के लियें कार्य करना होगा। पितृ सत्तात्मक समाज, बेटे की चाह, वंश चलाने की चाह, दहेज के बेटी को बोझ, बेटी को लेकर असुरक्षा की भावना जैसे कई कारण हमारी मानसिकता में है जिससे बेटीयों को कोख में मारने के लियें हम तैयार हो जाते है जो कानून की दृष्टी से जघन्य अपराध है।
कार्यक्रम में जिला आईईसी समन्वयक श्री दिलीप श्रीमाली ने जिलें में संचालित पधारो म्हारी लाडो अभियान के तहत गांवो में की जा नुक्कड़ सभाओं की जानकारी दी तथा बताया की लिंग परिक्षण रोकथाम के लियें सोनोग्राफी संस्थान अथवा अपने आस पास किसी की संदिग्ध गतिविधीयां नजर आये तो तुरंत 104/108 टोल फ्रि नम्बर पर फोन कर सूचित करें जिससें विभाग कार्यवाही कर सकें। श्रीमाली ने राज्य सरकार द्वारा बेटी जन्म को प्रोत्साहित करने के उदेश्य से संचालित राज श्री योजना के साथ ही अन्य विभागो की योजनाओं के बारें में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में संस्थान की छात्रा अनिता ने क्या आपके पांच 5 मिनट है मार्मिक अपील पढ़ कर सूनायी तथा डिम्पल ने बेटी बचाओं पर काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम में जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक श्री कपिल भारद्वाज ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुयें जिलें में अधिनियम के क्रियान्वयन एवं रजिस्टर्ड सोनोग्राफी संस्थानो वस्तुस्थिती, सोनोग्राफी मशीन की उपयोगिता एवं नियमन के लियें आवश्यक सावधानियों, समुचित प्राधिकारीयों के कार्यो एवं जिला पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ एवं विभाग द्वारा कियें जा रहें कार्यो के बारें में जानकारी दी साईकोलोजिस्ट जमील अहमद गौरी ने तम्बाकू से होने वालें दुष्प्रभावों के बारें में जानकारी दी। अंत में कॉलेज के प्राचार्य श्री राजकमल जैन ने सभी को बेटी बचाओं शपथ दिलायी।

Thursday, 18 May 2017


 

गर्भवती महिलाओं की गुणवत्तापूर्ण जांच करें - जिला कलक्टर श्री पी.सी. बैरवाल
राजसमंद, 18 मई। माता एवं शिशु स्वास्थ्य के लियें गर्भवती महिलाओं की प्रसव पुर्व जांचे गुणवत्तापुर्ण होनी चाहियें। यह निर्देश जिला कलक्टर श्री पी.सी. बैरवाल ने जिला कक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में दियें। 
उन्होंने सभी चिकित्सा अधिकारीयों को इसके लियें सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियों आंगनबाड़ी स्तर पर मातृत्व शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस, उपस्वास्थ्य केन्द्र पर होने वाले प्रसुति नियोजन दिवस, चिकित्सा संस्थान पर सुरक्षित मातृत्व दिवस जैसे आयोजनों को सुनियोजित तरीकें से आयोजित करने एवं नियमित मोनिटरींग करने के लियें निर्देशित किया। 
बैठक के प्रारम्भ में उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर ने जिला कलक्टर महोदय का जिला स्वास्थ्य समिति की और से स्वागत किया तथा पुर्व बैठक की पालना से अवगत कराया।
जिला कलक्टर श्री पी.सी. बैरवाल ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने से सुरक्षित प्रसव के साथ ही शिशुओं के स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सकता है।
जिला कलक्टर ने मातृत्व शिशु स्वास्थ्य दिवस, प्रसुति नियोजन दिवस एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का लाभ लेने वाली गर्भवती महिलाओं के नाम व मोबाईल नम्बर सहित सूची उपलब्ध करवाने के लियें निर्देशित किया जिससें जिला स्तर से लाभार्थी महिला से सेवाओं की गुणवत्ता के बारें में पुछताछ की जा सकें।
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा ने जिलें में नवजात शिशु स्वास्थ्य को लेकर चिरायु कार्यक्रम की जानकारी देते हुयें बताया कि संस्थान स्तर एवं समुदाय स्तर पर विभाग जिला स्तर पर रणनीति बनाकर कार्ययोजना तैयार कर रहा है। जिला कलक्टर ने इस संबंध में निर्देशित किया की पुरें जिलें में चिकित्सा संस्थानों पर होने वाले शिशु जन्मों में 2.5 किलो ग्राम से कम वनज वाले शिशुओं की सूची तैयार कर विशेष क्षैत्रों के चिन्हीकरण के साथ ही कम वजन वाले शिशु होने के कारणों का पता करें। 
उन्होंने कहा कि गांव स्तर पर कार्यरत आशा सहयोगिनीयों एवं एएनएम के कार्यो की मोनिटरींग करें जिससें संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम की प्रगति में सुधार लाया जा सकें। 
उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर ने जिलें में मौसमी बिमारीयों स्वाईन फ्लू एवं मलेरिया की स्थिती के बारें मंे विस्तार से जानकारी दी एवं विभाग द्वारा रोकथाम के लियें की जा रहीं गतिविधियों के बारें में बताया।
जिला कलक्टर ने निर्देशित किया की स्वाईन फ्लू स्वस्थ व्यक्ति को भी हो सकता है इसकें लियें आमजन में विभागीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से जागरूकता लावें।  
 उन्होंने आशा सहयोगिनीयों के क्षमतावर्द्धन हेतु संचालित आशा मोबाईल एकेडमी के कोर्स की स्थिती की समीक्षा करतें हुये निर्देशित किया की शीघ्र ही शेष आशा सहयोगिनीयों का कोर्स पूर्ण कराने के निर्देश दियें।
बैठक में सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला लेखा प्रबंधक, जिला नोडल अधिकारी मोनिटरींग, अतिरिक्त जिला नोडल अधिकारी आर.बी.एस.के, जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक, खंड कार्यक्रम प्रबंधक, समस्त चिकित्सा अधिकारी प्रभारी उपस्थित थें। 

Monday, 15 May 2017


नवजात शिशु स्वास्थ्य पर केन्द्रीत होकर तैयार करें कार्ययोजना - डॉ तरूण चौधरी
चिरायू कार्यक्रम की कार्ययोजना को लेकर जिला स्तरीय व खंड स्तरीय अधिकारयों ने किया मंथन   
राजसमंद, 15 मई। शिशु मृत्यु दर कम करने के लियें संस्थान एवं समुदाय स्तर पर नवजात शिशु देखभाल सेवाओं पर ध्यान केन्द्रीत करते हुयें जिला स्तर पर कार्ययोजना तैयार करनी है। जिसके लियें संस्थान एवं समुदाय स्तर पर नवजात शिशु को मिलने वाली सेवाओं में आ रहीं बाधाओं एवं कमीयों के कारणो का चिन्हीकरण कर, उन्हें दूर करने के स्थानिय उपायों को एक निश्चित समय सीमा में पुरा करना होगा। यह विचार राज्य परियोजना निदेशक मातृत्व स्वास्थ्य डॉ तरूण चौधरी ने जिला स्तर पर चिरायू कार्यक्रम की कार्ययोजना तैयार करने हेतु आयोजित बैठक में व्यक्त कियें। 
बैठक में उन्होंने बताया कि जिले में 80 प्रतिशत से अधिक प्रसव 18 चिकित्सा संस्थानो पर होते है। हमें उन चिकित्सा संस्थानो पर विशेष ध्यान देकर वहां दी जा रहीं प्रसव सेवाओं को गुणवत्तायुक्त देने सुनिश्चितता करनी होगी। साथ वहां होने वाले प्रसवों को समुदाय में आशा सहयोगिनीयों के माध्यम सेे ट्रेक करना चाहियें की नवजात के स्वास्थ्य की स्थिती कैसी है। वहीं संस्थान स्तर से रेफर कियें गयें नवजात शिशुओं का रेफर करने वाले चिकित्सा संस्थान पर फॉलोअप करने तथा घर पर आशा द्वारा की जाने वाली नवजात शिशु देखभाल गुणवत्तापुर्ण हो इस पर ध्यान देना होगा। 
उन्होंने कहा कि चिकित्सा संस्थान स्तर पर नवजात शिशु देखभाल के लियें तीन स्तर पर सुविधांये न्यूबोर्न केअर कोर्नर, न्यूबोर्न स्टेबलाईजेशन यूनिट एवं स्पेशल न्यूबोर्न केअर यूनिट इन तीनो स्तर पर सुविधाओं को मजबूत करने के लियें वहां प्रशिक्षित स्टॉफ की उपलब्धता, उपकरणों की उपलब्धता के साथ अकार्यशील उपकरणों की सूची तैयार करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अनावश्यक अनुपयोगी उपकरण पडे़ हुयें है उनको जहां अधिक नवजात भर्ती हो रहें है वहां पंहुचाया जायें। नवजात के लियें रेफर सुविधाओं के समुचित उपयोग एवं प्रबंधन से भी शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी इसलियें इस पर भी ध्यान केन्द्रीत कर कार्य करना होगा। अवांछीत रेफरल कम हो तथा आवश्यक रेफरल केस की सूचना अग्रीम उच्च चिकित्सा संस्थान पर मिलें ताकी शिघ्र व त्वरीत उपचार संभव हो सकें। 
उन्होंने कहा की शिशु स्वास्थ्य के लियें समुदाय स्तर पर गांव स्तर पर आयोजित कियें जा रहें मातृत्व, शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस को सुनियोजित तरीके से आयोजित करना, ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिती का सुव्यवस्थित आयोजन भी सुनिश्चित करना होगा।
बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पंकज गौड़, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ सी.एल. डूंगरवाल, उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इकरामुद्दीन चुड़ीगर, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश मीणा, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जे.पी.बूनकर, डॉ प्रहलाद सिंह सौलंकी, डॉ अनुराग शर्मा, डॉ कमलेश मीणा, डॉ शैलेन्द्र सिंह, डॉ आर.पी. शर्मा सहित जिला कार्यक्रम प्रबंधक आशीष दाधीच सहित जिला व खंड कार्यक्रम प्रबंधन ईकाई के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थें।  
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Sunday, 14 May 2017

चिरायू कार्यक्रम से होगा शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढीेेकरण



चिरायू कार्यक्रम से होगा शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढीेेकरण
राज्य परियोजना निदेशक मातृत्व स्वास्थ्य डॉ तरूण चौधरी ने ली आर.के. जिला चिकित्सालय में बैठक 
राजसमंद, 14 मई। जल्दी ही जिलें में शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान करने के लियें चिरायू कार्यक्रम शुरूआत की जा रही है। कार्यक्रम की जिला स्तरीय योजना तैयार करने एवं क्रियान्वयन को लेकर राज्य परियोजना निदेशक मातृत्व स्वास्थ्य स्वास्थ्य जो इस कार्यक्रम के तहत जिले में राज्य स्तरीय प्रभारी भी है डॉ तरूण चौधरी ने जिला चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग में कार्यरत चिकित्सा अधिकारीयों एवं कार्मिको की बैठक ली।
उन्होंने बैठक में जानकारी दी कि चिरायु कार्यक्रम के तहत चिकित्सा संस्थान एवं समुदाय स्तर पर नवजात को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को बिना किसी बाधा के उपलब्ध संसाधनों के बेहतरीन उपयोग एवं प्रबंधन से सुदृढ करनी है।
बैठक में उन्होंने चिकित्सा संस्थान स्तर पर प्रसव प्रबंधन एवं शिशु स्वास्थ्य प्रबंधन की समीक्षा के लियें विभिन्न रजिस्टर एवं रिकॉर्ड का अवलोकन किया तथा गुणवत्तायुक्त रिकार्ड रखने के लियें निर्देशित किया। उन्होंने बताया की गुणवत्तायुक्त रिकार्ड से ही एक अच्छी कार्ययोजना तैयार होगी।
उन्होंने लेबर रूम में कार्यरत स्टॉफ एवं एसएनसीयू में कार्यरत स्टॉफ में नियमित संवाद बनायें रखने पर भी जोर दिया जिससें शिशु स्वास्थ्य सेवायें तत्काल बिना किसी बाधा के मिल सकें। उन्होंने एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने वाले बच्चों को नियमित फोलोअप की जानकारी अद्यतन रखनें। प्रसव के दौरान मॉं व बच्चें के स्वास्थ्य की दृष्टी से अपनायें जाने वाले महत्वपुर्ण प्रोटोकॉल को अनिवार्यतः क्रियान्वित करने एवं रिकार्ड करने के लियें कहा।  
बैठक में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ सी.एल.डूंगरवाल, स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ मंजु पुरोहित, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ललित पुरोहित के साथ ही एसएनसीयू एवं लेबर रूम में कार्यरत नर्सिंग कर्मचारी उपस्थित थेें।
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