Tuesday 17 April 2018



ग्रामीणो की सजगता से रूप सिंह हुआ भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में निःशुल्क उपचार 

राजसमंद। रूप सिंह ही हर दिन की तरह बकरीयों के लियें पेड़ पर चढ पेड़ की टहनियां काट रहा था की असंतुलित होकर निचे गिर पड़ा और एक हाथ बूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। आस -पास के लोग दौड़ कर आयें और रूप सिंह को तुरंत कांकरोली के एक निजी चिकित्सालय शर्मा हॉस्पीटल में लेकर आयें।

रूप सिंह ने बताया की गांव के लोगो ने ही घर से उनका भामाशाह कार्ड, आधार कार्ड और आवश्यक दस्तावेज साथ लियें और शर्मा हॉस्पीटल लेकर आयें। जिससें बिना कोई खर्च उनके हाथ का ऑपरेशन प्राईवेट हॉस्पीटल में हो गया और ईलाज के लियें उनको किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाने पड़े।  

रूप सिंह बताता है की वह गांव में ही खेती - बाड़ी करता है और बकरीया पालता है एक लड़का है जो जोधपुर में किसी होटल में नौकरी करता है, लड़के की नौकरी से उसका परिवार ही बमुश्किल पलता है ऐसे में वह आर्थिक रूप से मेरी किसी तरह मदद नहीं कर पाता है। ऐसी तंगहाली में यह दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुयें हाथ का उपचार करवाना कर्ज लेकर ही संभव था। जिसको चुकाते- चुकाते कई साल बीत जातें। 
रूप सिंह के हाथ का ऑपरेशन कर बोन ग्राफ्टींग एवं प्लेटिंग की गई। रूप सिंह अभी हॉस्पीटल में ही उपचाररत है। योजना के बारें में वह बताया है की गांव में अब सभी हॉस्पीटल जाते समय भामाशाह कार्ड और आधार कार्ड साथ लेकर जाते है। इस योजना के कारण मेरा ईलाज प्राईवेट हॉस्पीटल में बिना किसी आर्थिक भार हो पाया है इसलियें सरकार के जितने गुण गांयें उतना ही कम है। 

Thursday 12 April 2018


भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना ने वृद्ध दम्पत्ति को दिया सम्बल
पत्नी के बच्चेदानी और पति के हाथ का ऑपरेशन संभव हुआ भामाशाह स्वास्थ्य योजना की बदौलत

राजसमंद। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना किस तरह गांव - ढाणी तक पहुंच अशिक्षित, गरीबों को बिना किसी खर्च के ईलाज उपलब्ध करवा इनको नया जीवन दे रही है। इसका एक जीवंत उदाहरण नाथद्वारा तहसील के गांव पिपलिया में निवासरत गणेश कुंवर और उनके पति बाघ सिंह है। जिनको जीवन की इस असहाय अवस्था में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना ने सहारा देकर एक नया जीवन दिया है। 
गणेश कुंवर ना जाने कब से बिमारी की पीड़ा भोग रही थी लेकिन अपने परिवार की आर्थिक स्थिती के चलते उसने हॉस्पीटल जाने की नहीं सोची। ना जाने बिमारी पर कितना रूपया खर्च हो जायें जब घर में एक धैला ना हो, जीवन बकरीयों को चराने और दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में बीत रहा हो ऐसे में ईलाज की सोचना भी दुश्वार सा था। 
वो एक दिन कैसे यूं ही मौहल्ले में अपने हमउम्र की महिलाओं के बीच बतियाते गणेश कुंवर की पीड़ा जुबां पर आ गई तो तपाक से एक महिला कह उठी भामाशाह कार्ड और आधार कार्ड लेईन हॉस्पीटल जावो सरकार मुफत में ईलाज करी री है।  बस फिर क्या था गणेश कुंवर वहां से सीधी घर आई और भामाशाह कार्ड और आधार ढूंढ कर पहुंच गई उदयपुर जनाना हॉस्पीटल फिर क्या था। डॉक्टर ने बताया की बच्चेदानी का ऑपरेशन होगा ,गणेश कुंवर ने अपने पास एक प्लास्टिक की थैली में सहेजकर रखे भामाशाह कार्ड और आधार कार्ड को बताया तो पात्र परिवार की पुष्टी कर गणेश कुंवर का बच्चेदानी का ऑपरेशन हो गया बिल्कुल कैशलेस। 
फिर 3 माह बाद पति बाघ सिंह गांव में लोकदेवता राड़ाजी के देवरे में घर में बनी रोटी का भोग लगाने गया तो सिढीयों से पैर फिसला और हाथ का फ्रेक्चर हो गया। गणेश कुंवर अब समझ गई भामाशाह कार्ड और आधार कार्ड साथ लेकर आर.के. हॉस्पीटल में आई और कार्ड बतायें। बाघ सिंह के हाथ का ऑपरेशन कर आवश्यक इम्प्लान्ट डाले गयें। ऑपरेशन डॉ नरेन्द्र पालीवाल और टीम ने किया। बिना किसी खर्च बाघ सिंह का बिल्कुल कैशलेस ईलाज भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में हो गया।  अभी बाघ सिंह आर.के हॉस्पीटल के ट्रोमा वार्ड मे भर्ती है।  
योजना के बारे में बात करते हुयंे डबडबाई आंखो के साथ अपनी कृतज्ञता व्यक्त करतें हुयंे कहती है ज्यादा भणी थकी नी हूं लेकिन हां अणी योजना म्हाने जीवाया है। रूपया वना ईलाज री वात रो दूर, कोई हाथ तक नी लगावे लेकीन यो कार्ड माणी बिमारी में राम है। अतार्थ रूपये बिना कोई बिमारी की जांच करने हाथ भी नहीं पकड़ता ऐसे में ईलाज की बात तो दूर ही समझो लेकीन भामाशाह कार्ड ने बिमारी में हमारा भगवान बनकर साथ दिया है।